Saturday 31 December 2016

" नये साल का आगाज़ "

बेशुमार खुशियों की बस शुरुआत हो,
यूं जो नये साल का आगाज़ हो,
गिले-शिकवे भी सारे यूँ हो जाये दूर,
नये साल में जो अपनों का बस आशिर्वाद हो...
हर इक दिल में उमड़ता सच्चा सा प्यार हो,
राह में हर पल लोगों का जो साथ हो,
दुष्वारियां कुछ यूँ रहें हमसे दूर,
कि हर फैसले की बुनियाद पे हमारा ताज हो...
कुछ यूँ जो नये साल का आगाज़ हो,
बस खुशियों से ही हम सरोबार हों,
राह की कुरीतियों से रहें हम कोसों दूर,
कठिनाईयों का बेहतर निवारण भी हमारे पास हो...
नकारात्मकता बिल्कुल ना हमे छू सके,
यूं जो नये साल का खूबसूरत आगाज़ हो...

- प्रशांत द्विवेदी

Wednesday 14 December 2016

बीत रही है ज़िंदगी तेरी अब बस बातें बनाने में,
कभी कद्र भी करना सीखो अपनी इस उलझे ज़माने में,
अब तक ना लौटा है ना लौटेगा साहिल तेरे प्यार का,
इक ज़रा सी कोशिश तो करो अब उसे ख़ुद से भुलाने में...

- प्रशांत 

Sunday 13 November 2016

" किस्मत " (cp)

अब ख़ुदा तेरी किस्मत कुछ यूँ बनाये,
आज से हर दिन तेरे लिए ख़ास बन जाये,
दुखों की घड़ी तेरी सिमट ही जाये,
आँखों में चमक और होठों पे हंसी आये,
तेरे जीवन की खुशियां बस बढ़ती ही जायें...
तेरी मंज़िल तेरे कदमों पे आये,
जो तूने देखे हैं सपने वो सच हो जायें,
निराशा कभी ना तेरे हाँथ लगे,
बस ऊंचाइयों की ओर तू बढ़ती ही जाये...
तुझेे चाहने वालों के लबों पे तेरा नाम आये,
ज़िन्दगी में हमेशा तू उन सबका साथ पाये,
यही दुआ है बस मेरी रब से,
मुश्किलों की घड़ी तुझे छू भी ना पाये...
यादों में भी सही तुझे हर पल मेरा साथ मिले,
हर दिन तुझे खुशियों की नयी सौगात मिले,
जब तक हूँ साथ तेरे तुझे हंसाता रहूँगा मै,
गर दूर हुए तो ख्वाबों में भी आता रहूंगा मैं,
क्यूंकि तुझे दुखी ना देख सकता हूँ मै,
इसलिये तेरे चेहरे पे मुस्कान लाता रहूंगा मै...
बस रब करे तेरी किस्मत कुछ यूँ हो जाये,
आज से तेरा हर दिन कुछ ख़ास बन जाये...

# प्रशांत

Monday 17 October 2016

" ख़ुदा के बन्दे हम "

वो भूली बिसरी बातें,
वो हल्की शाम की मुलाकातें,
वो महफ़िल में सजती फरमाईशें,
वो हर पल बढ़ती गुंजाईशें,
अब इक सपना सा हो गयी हैं,
जो मनचली दुनिया में कहीं खो सी गयी हैं,
अब इनके वापस आने की ना है उम्मीद,
फिर भी हम ख़ुदा के बन्दे हैं इनके मुरीद...
वो दिलों की बढ़ती दूरियां,
वो लोगों की अपनी मज़बूरियां,
वो अनजाने में हुई गुस्ताखियां,
वो रिश्तों में पनपती खामोशियाँ,
जिनका सुधरना सपना सा हो गया है,
मनचली दुनिया में जिनका वज़ूद खो सा गया है,
अब इनके संभलने की ना है उम्मीद,
फिर भी हम खुदा के बन्दे हैं इनके मुरीद...
ऐ ख़ुदा तेरे बन्दों पे कुछ रहमत कर,
जो करते हैं तेरी तू उनकी भी इबादत कर,
तेरे दर पे जो फिर से सर झुका सके,
मनचली दुनिया में उनकी ऐसी खिदमत कर,
ऐ खुदा हम बन्दों की तू हिफाज़त कर...

- प्रशांत

Tuesday 11 October 2016

" समुन्दर सा आईना "

ज़िन्दगी के हिस्सों में इक हिस्सा है आईना,
असल ज़िन्दगी का इक अनसुना किस्सा है आईना,
हर इक चेहरे का राज़ बताता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा लगता है ये आईना...
किसी की ख़ुशी तो किसी का ग़म दिखता है आईना,
उदास लम्हों में इक नयी आस जगाता है आईना,
खुद की हर असलियत दिखता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा दिखता है ये आईना...
अनसुलझे पहलुओं को सुलझाता है आईना,
मायूस लोगों में विस्वास जगाता है आईना,
अपनी ही चमक पे चमकता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा लगता है ये आईना...
अँधेरी सी ज़िन्दगी में उजाला है आईना,
वक़्त-बेवक़्त ज़िन्दगी का हवाला है आईना,
अपने होने का एहसास जताता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा दिखता है ये आईना...
हमारी ज़िन्दगी का रोचक फलसफा है ये,
तभी लोगों को समुन्दर सा लगता है ये आईना...

- प्रशांत

Tuesday 4 October 2016

" तुझे हँसना सिखा दूँ " (CP)

कुछ इस तरह मैं तुझे अपना बना दूँ,
ख्वाहिशों को तेरी मै इक लम्हा बना दूँ,
तेरे रूठने पर मै मना सकूँ तुझे,
कुछ ऐसा करूँ की तुझे हँसना सिखा दूँ...
मै हर लम्हा ये कहकर गुज़ार दूँ,
तुझपे मै अपनी हर ख़ुशी वार दूँ,
मेरे शब्दों से कीमती हैं ये अश्क़ तेरे,
एक-एक कर मै इन अश्कों को संवार दूँ...
तेरी ज़िन्दगी का हर पल इक पल में निखार दूँ,
हर ग़म को तेरे मै खुशी से भिगा दूँ,
फिर कभी मिले ना मिले हम ज़िन्दगी में,
कुछ ऐसा करूँ की तेरे दिल में अपनी जगह बना दूँ...
तेरे ग़मों को मै अपने ग़म बना दूँ,
अपनी हर ख़ुशी को मै तुझपे लुटा दूँ,
हो सके तो कभी ना दूर होना मुझसे,
सौगात में मिली हर याद को तेरी मै अपनी यादें बना दूँ...
मेरे लिए तेरी अहमियत बता सकूँ मै तुझे,
कुछ ऐसा करूँ की ज़िन्दगी भर के लिए तुझे हँसना सिखा दूँ...

- प्रशांत

Wednesday 21 September 2016

" शहादत को सलाम "

सरहद पार के कुछ बन्दे यूँ सरहद पार जो करते हैं,
इंसानियत की हर हद को वो तार-तार फिर करते हैं,
कभी मुम्बई कभी पंजाब कभी उरी को वो दहलाते हैं,
मर्यादा की सीमा लांघ भी वो बाल-बाल बच जाते हैं...
बन्दूक से निकली गोली का मजहब न कोई होता है,
हैवान बड़ा वो होता है और अंजाम बुरा भी होता है,
वो आते हैं गोली और बम बरसाते हैं,
यहाँ तख्तों पर बैठे नौकरशाहों के दावे धरे रह जाते हैं...
बहुत हुआ सम्मान अब मकाम हमें तय करना है,
शहीदों की शहादत का परिणाम हमें तय करना है,
गलती जो की है तो पछतावे की आग में अब वो तड़पेंगे,
वो लाख गिराएं गोले हम ओले बन उनपर बरसेंगे...
मर मिटे जो इस देश पे वो लौट के अब ना आएंगे,
भारत माँ के वो बेटे अब वीर सपूत कहलायेंगे,
जो खो दिया इस देश ने वो खोकर भी वापस पायेगा,
अब फिर से हिंदुस्तान में सुख-शांति का परचम लहराएगा,
फिर से अब हिंदुस्तान में खुशहाल तिरंगा लहराएगा...

- प्रशांत द्विवेदी 

Wednesday 14 September 2016

" दोस्ती तुझे सलाम "

ज़िन्दगी जीने की इक आस होती है दोस्ती,
कोई हो ना हो पर पास होती है दोस्ती,
दो दिलों की इक पहचान होती है दोस्ती,
दूर होकर भी आबाद होती है दोस्ती...
कुछ रिश्तों की मिठास होती है दोस्ती,
इक अटूट सा विस्वास होती है दोस्ती,
संग अपने हर कदम भले ही कोई ना हो,
लेकिन कदम दर कदम साथ होती है दोस्ती...
जब समझ नहीं आते ज़िन्दगी के दस्तूर,
लोग हो जातें हैं अपने ग़मों में मजबूर,
तब लेते हैं दिल से बस इक नाम,
ऐ दोस्ती तुझे सलाम...
देना चाहता हूँ आज बस ये पैग़ाम,
लेना ना भूलूं मै इस रिश्ते का नाम,
दोस्ती तुझे सलाम,
ऐ दोस्ती तुझे सलाम...

- प्रशांत  

Monday 5 September 2016

क्यूँ  इस जहाँ में हम लोगो की रुसवाईयाँ याद रखते हैं,
उनकी अच्छाईयों को नहीं उनकी बुराईयां  याद रखते हैं,
क्यूँ हम किसी से मिली तनहाईयां याद रखते हैं,
उनकी वफाईयों को नही उनकी बेवफाईयां याद रखते हैं,
हम चढ़ते तो बड़े शौख़ से हैं हर रिश्ते की सीढ़ी पर,
फिर क्यूँ हम रिश्तों की गहराईयों को नहीं उनकी कमज़ोरियाँ याद रखते हैं...

- प्रशांत

Friday 2 September 2016

" खुशी "

हर इंसान की अपनी इक मजबूरी होती है,
ज़िंदा रहने को कुछ ख्वाहिशें ज़रूरी होती हैं,
भटकता रहता है वो जीवन की राहों में,
इक आस भी न मिलती उसे इन सन्नाटों में,
रहता है मिलने को खुद से बेकरार,
हर पल करता है वो इक ख़ुशी का इंतज़ार...
चाहे सपने हों उसके पूरे,
या रह जाएं कुछ आधे अधूरे,
जुड़ सके वो अपने हालात से,
या हो कुछ दूर लोगों के विस्वास से,
जी सकता है वो जीवन के दिन चार,
क्यूंकि हर पल करता है वो इक ख़ुशी का इंतज़ार,
बस इक छोटी सी ख़ुशी का इंतज़ार...

- प्रशांत द्विवेदी

Friday 26 August 2016

" सच्ची सी दोस्ती "

जब हम खोए हुए से रहते थे,
कुछ गुमसुम से बैठे रहते थे,
जब पास ना कोई अपना था,
एहसास ना कोई अपना था,
संग इक ख़ुशी की तलाश में,
अनजाने से अटूट विस्वास में,
जो साथ हर कदम था,
वो थी इक सच्ची सी दोस्ती...
जब मै ग़मों से लड़कर हारा था,
इक सपना भी ना गंवारा था,
हो गया था जब बेहाल सा,
इक अनसुलझे से सवाल सा,
तब भी साथ थी जो मेरे,
वो थी इक सच्ची सी दोस्ती...
अब मैने भी हर गम भूलकर,
हर सितम को पीछे छोंड़कर,
अपना ली है,
सच्चे दोस्त की इक सच्ची सी दोस्ती...

- प्रशांत द्विवेदी

Wednesday 24 August 2016

अब तक ना मिला मुझे इक यार तेरे जैसा,
ढूंढता मै फिरा दिल-ए-दिलदार तेरे जैसा,
नहीं चाहिए मुझे अब शख्स कोई दूसरा,
जब साथ हो मेरे इक गुल-ए-गुलजार तेरे जैसा...

- प्रशांत 

Sunday 21 August 2016

" छोटी सी भूल "

हर ख़ुशी में इक पल ये भी था,
जीवन का इक रंग ये भी था,
मैने हर दिल पे राज़ किया,
कुछ अनजाने लम्हों का आगाज़ किया...
अब तक तो सब ठीक था,
ना जाने फिर ऐसा क्या हुआ,
खलती ही गयी मुझे मेरी इक,
छोटी सी भूल...
अब होकर तनहा इन राहों में,
मै घूम रहा सन्नाटों में,
अश्कों के बादल ने घेर लिया,
मुझसे हर सपना छीन लिया,
ना जी पाउँगा ज़िन्दगी अब होके मशगूल,
क्यूंकि बर्बाद कर गयी मुझे मेरी इक,
छोटी सी भूल...
- प्रशांत द्विवेदी

Friday 19 August 2016

" किस्से "

राह में बड़े झमेले हैं,
जीवन के किस्से अलबेले हैं,
कुछ लोगों से इक बात सुनी,
किस्सों की हर सौगात सुनी...
फिर सोंचा मैने इक पल के लिए,
जीवन सवारूँ अब कल के लिए,
जो होना था सो हो चुका,
अब किस्सों में मै खो चुका...
मैंने अब जीना सीख लिया,
इक ख़ुशी ने हर गम छीन लिया,
अब राह में ना रोड़े आएंगे,
किस्से हैं,
गर सच हुए,
तो बस होते ही जाएंगे...
- प्रशांत द्विवेदी

Wednesday 17 August 2016

" अनजाना सा सपना "

अनजाना सा इक सपना था,
राह में कोई अपना था,
चाह थी उससे मिलने की,
साथ ज़िन्दगी जीने की...
ये बस ख़्वाबों का इक झोंका था,
दिल ने ही दिल को रोका था,
मिलके मुझसे उसने मुंह यूँ मोड़ा,
जीने की इक आस को उसने पल में तोड़ा...
अब ना उससे टकराऊंगा,
खाई है कसम,
ऐ ज़िन्दगी,
लौट के वापस आऊंगा,
मैं लौट के वापस आऊंगा...

- प्रशांत द्विवेदी