Wednesday 14 December 2016

बीत रही है ज़िंदगी तेरी अब बस बातें बनाने में,
कभी कद्र भी करना सीखो अपनी इस उलझे ज़माने में,
अब तक ना लौटा है ना लौटेगा साहिल तेरे प्यार का,
इक ज़रा सी कोशिश तो करो अब उसे ख़ुद से भुलाने में...

- प्रशांत 

No comments:

Post a Comment