Sunday 21 August 2016

" छोटी सी भूल "

हर ख़ुशी में इक पल ये भी था,
जीवन का इक रंग ये भी था,
मैने हर दिल पे राज़ किया,
कुछ अनजाने लम्हों का आगाज़ किया...
अब तक तो सब ठीक था,
ना जाने फिर ऐसा क्या हुआ,
खलती ही गयी मुझे मेरी इक,
छोटी सी भूल...
अब होकर तनहा इन राहों में,
मै घूम रहा सन्नाटों में,
अश्कों के बादल ने घेर लिया,
मुझसे हर सपना छीन लिया,
ना जी पाउँगा ज़िन्दगी अब होके मशगूल,
क्यूंकि बर्बाद कर गयी मुझे मेरी इक,
छोटी सी भूल...
- प्रशांत द्विवेदी

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