तेरे रूठने का शौक तो आज भी तुझमें सर चढ़ कर बोलता है,
फर्क बस इतना है तू रूठने लगा है तो मैंने भी तुझे मनाने का शौक पाल लिया है...!!!
- प्रशांत
(अपनी कलम की स्याही से शब्दों को पिरोता हूं...मैं 'प्रशांत' हूं जनाब कभी सच तो कभी ख्वाब संजो के लिखता हूं...♥☺)
तेरे रूठने का शौक तो आज भी तुझमें सर चढ़ कर बोलता है,
फर्क बस इतना है तू रूठने लगा है तो मैंने भी तुझे मनाने का शौक पाल लिया है...!!!
- प्रशांत
कुछ ख्वाहिशों के दामन जब यूं संवर जाते हैं,
दो पल ज़िंदगी के फिर यूं बिखर जाते हैं,
लोग हो जाते हैं मज़बूर इस चकाचौंध में,
और तमाशगीर तमाशा देखकर चले जाते हैं...
- प्रशांत
कभी रुठेगा ये जहां तुमसे तो कभी दास्तां अजब होगा,
मेज़बान सी इस दुनिया में तेरा इन्तेहाँ गज़ब होगा,
लोग तो समझेंगे ख़ुद को साहिल तेरे प्यार का,
लेकिन हकीकत में तुझसे जुड़ने वाला हर इंसां तलब होगा...
- प्रशांत