(अपनी कलम की स्याही से शब्दों को पिरोता हूं...मैं 'प्रशांत' हूं जनाब कभी सच तो कभी ख्वाब संजो के लिखता हूं...♥☺)
Tuesday 7 March 2017
कड़वी सच्चाई
कभी रुठेगा ये जहां तुमसे तो कभी दास्तां अजब होगा,
मेज़बान सी इस दुनिया में तेरा इन्तेहाँ गज़ब होगा,
लोग तो समझेंगे ख़ुद को साहिल तेरे प्यार का,
लेकिन हकीकत में तुझसे जुड़ने वाला हर इंसां तलब होगा...
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