(अपनी कलम की स्याही से शब्दों को पिरोता हूं...मैं 'प्रशांत' हूं जनाब कभी सच तो कभी ख्वाब संजो के लिखता हूं...♥☺)
इरादे नेक थे मेरे और इरादे नेक हैं, कुसूर बस इतना सा है कि अब मैंने दिल लगाना छोड़ दिया है...!!
- प्रशांत
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