Monday 17 October 2016

" ख़ुदा के बन्दे हम "

वो भूली बिसरी बातें,
वो हल्की शाम की मुलाकातें,
वो महफ़िल में सजती फरमाईशें,
वो हर पल बढ़ती गुंजाईशें,
अब इक सपना सा हो गयी हैं,
जो मनचली दुनिया में कहीं खो सी गयी हैं,
अब इनके वापस आने की ना है उम्मीद,
फिर भी हम ख़ुदा के बन्दे हैं इनके मुरीद...
वो दिलों की बढ़ती दूरियां,
वो लोगों की अपनी मज़बूरियां,
वो अनजाने में हुई गुस्ताखियां,
वो रिश्तों में पनपती खामोशियाँ,
जिनका सुधरना सपना सा हो गया है,
मनचली दुनिया में जिनका वज़ूद खो सा गया है,
अब इनके संभलने की ना है उम्मीद,
फिर भी हम खुदा के बन्दे हैं इनके मुरीद...
ऐ ख़ुदा तेरे बन्दों पे कुछ रहमत कर,
जो करते हैं तेरी तू उनकी भी इबादत कर,
तेरे दर पे जो फिर से सर झुका सके,
मनचली दुनिया में उनकी ऐसी खिदमत कर,
ऐ खुदा हम बन्दों की तू हिफाज़त कर...

- प्रशांत

Tuesday 11 October 2016

" समुन्दर सा आईना "

ज़िन्दगी के हिस्सों में इक हिस्सा है आईना,
असल ज़िन्दगी का इक अनसुना किस्सा है आईना,
हर इक चेहरे का राज़ बताता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा लगता है ये आईना...
किसी की ख़ुशी तो किसी का ग़म दिखता है आईना,
उदास लम्हों में इक नयी आस जगाता है आईना,
खुद की हर असलियत दिखता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा दिखता है ये आईना...
अनसुलझे पहलुओं को सुलझाता है आईना,
मायूस लोगों में विस्वास जगाता है आईना,
अपनी ही चमक पे चमकता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा लगता है ये आईना...
अँधेरी सी ज़िन्दगी में उजाला है आईना,
वक़्त-बेवक़्त ज़िन्दगी का हवाला है आईना,
अपने होने का एहसास जताता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा दिखता है ये आईना...
हमारी ज़िन्दगी का रोचक फलसफा है ये,
तभी लोगों को समुन्दर सा लगता है ये आईना...

- प्रशांत

Tuesday 4 October 2016

" तुझे हँसना सिखा दूँ " (CP)

कुछ इस तरह मैं तुझे अपना बना दूँ,
ख्वाहिशों को तेरी मै इक लम्हा बना दूँ,
तेरे रूठने पर मै मना सकूँ तुझे,
कुछ ऐसा करूँ की तुझे हँसना सिखा दूँ...
मै हर लम्हा ये कहकर गुज़ार दूँ,
तुझपे मै अपनी हर ख़ुशी वार दूँ,
मेरे शब्दों से कीमती हैं ये अश्क़ तेरे,
एक-एक कर मै इन अश्कों को संवार दूँ...
तेरी ज़िन्दगी का हर पल इक पल में निखार दूँ,
हर ग़म को तेरे मै खुशी से भिगा दूँ,
फिर कभी मिले ना मिले हम ज़िन्दगी में,
कुछ ऐसा करूँ की तेरे दिल में अपनी जगह बना दूँ...
तेरे ग़मों को मै अपने ग़म बना दूँ,
अपनी हर ख़ुशी को मै तुझपे लुटा दूँ,
हो सके तो कभी ना दूर होना मुझसे,
सौगात में मिली हर याद को तेरी मै अपनी यादें बना दूँ...
मेरे लिए तेरी अहमियत बता सकूँ मै तुझे,
कुछ ऐसा करूँ की ज़िन्दगी भर के लिए तुझे हँसना सिखा दूँ...

- प्रशांत