Wednesday 30 August 2017

" बातें ज़िंदगी की "

अपने लोगों को जो हंसना कभी सिखा ना सके,
कुछ कैद परिंदों को जो आसमाँ में कभी उड़ा ना सके,
वो बात करते हैं ज़िंदगी में हर ख़ुशी पाने की,
जो आज तक दिल से किसी को अपना बना ना सके...
अब तक जो समझते थे लोगों को कठपुतली हाँथ की,
आज उन्हें भी ज़रूरत है कुछ अपनों के साथ की,
वो बात करते हैं लोगों से दूरियां मिटाने की,
जो दिल से किसी रिश्ते को कभी निभा ना सके...
किसी की मदद कर देने से कोई छोटा नहीं हो जाता,
हर सिक्का जो चलन में ना हो वो खोटा नहीं हो जाता,
वो बात करते हैं ज़िंदगी से हर ग़म भुलाने की,
जो आईने में अपना झूठा चेहरा ही कभी छुपा ना सके...
कभी तो किसी को सीने से लगाया भी होता,
उनके दर्द को कभी तो अपना दर्द बनाया भी होता,
तब अच्छी लगती धमक पैसों से ज़िंदगी संवारने की,
पर अब क्या जब पैसों से असल ज़िंदगी को ही तुम पा ना सके...

- प्रशांत

Tuesday 29 August 2017

झूठे वादे

Monday 14 August 2017

" तिरंगे की इबादत "

आज पर्व है इंसान को उसकी इंसानियत से जोड़ने का,
आज पर्व है अमर शहीदों को उनकी शहादत से जोड़ने का,
कम से कम आज तो तबियत से तिरंगा फहराओ यारों,
क्यूंकि आज पर्व है देश को तिरंगे की इबादत से जोड़ने का...
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई का नारा तो पुराना है,
कदम आगे बढ़ाना है तो देश में अब प्यार जगाना है,
इक बार तो दिल से दिल का रिश्ता बनाओ यारों,
क्यूंकि आज पर्व है हर कौम को इन्सानियत से जोड़ने का...
दुनिया में कुछ देशो से आज भी हम पीछे हैं,
क्यूंकि बड़ा दिल होकर भी अपने ही देश में हम लड़ रहे हैं,
कम से कम इक बार तो अपनों को गले से लगाओ यारों,
क्यूंकि आज पर्व है देश को उसकी विरासत से जोड़ने का...
हर लम्हा तो सुख-दुःख में गुज़र जाता है,
उड़ता पंछी भी हवा के तेज़ झोंको से सहम जाता है,
इक बार तो तबियत से कदम आगे बढ़ाओ यारों,
क्यूंकि आज पर्व है देश को देश की हिफाज़त से जोड़ने का...

- प्रशांत द्विवेदी