Wednesday 21 September 2016

" शहादत को सलाम "

सरहद पार के कुछ बन्दे यूँ सरहद पार जो करते हैं,
इंसानियत की हर हद को वो तार-तार फिर करते हैं,
कभी मुम्बई कभी पंजाब कभी उरी को वो दहलाते हैं,
मर्यादा की सीमा लांघ भी वो बाल-बाल बच जाते हैं...
बन्दूक से निकली गोली का मजहब न कोई होता है,
हैवान बड़ा वो होता है और अंजाम बुरा भी होता है,
वो आते हैं गोली और बम बरसाते हैं,
यहाँ तख्तों पर बैठे नौकरशाहों के दावे धरे रह जाते हैं...
बहुत हुआ सम्मान अब मकाम हमें तय करना है,
शहीदों की शहादत का परिणाम हमें तय करना है,
गलती जो की है तो पछतावे की आग में अब वो तड़पेंगे,
वो लाख गिराएं गोले हम ओले बन उनपर बरसेंगे...
मर मिटे जो इस देश पे वो लौट के अब ना आएंगे,
भारत माँ के वो बेटे अब वीर सपूत कहलायेंगे,
जो खो दिया इस देश ने वो खोकर भी वापस पायेगा,
अब फिर से हिंदुस्तान में सुख-शांति का परचम लहराएगा,
फिर से अब हिंदुस्तान में खुशहाल तिरंगा लहराएगा...

- प्रशांत द्विवेदी 

Wednesday 14 September 2016

" दोस्ती तुझे सलाम "

ज़िन्दगी जीने की इक आस होती है दोस्ती,
कोई हो ना हो पर पास होती है दोस्ती,
दो दिलों की इक पहचान होती है दोस्ती,
दूर होकर भी आबाद होती है दोस्ती...
कुछ रिश्तों की मिठास होती है दोस्ती,
इक अटूट सा विस्वास होती है दोस्ती,
संग अपने हर कदम भले ही कोई ना हो,
लेकिन कदम दर कदम साथ होती है दोस्ती...
जब समझ नहीं आते ज़िन्दगी के दस्तूर,
लोग हो जातें हैं अपने ग़मों में मजबूर,
तब लेते हैं दिल से बस इक नाम,
ऐ दोस्ती तुझे सलाम...
देना चाहता हूँ आज बस ये पैग़ाम,
लेना ना भूलूं मै इस रिश्ते का नाम,
दोस्ती तुझे सलाम,
ऐ दोस्ती तुझे सलाम...

- प्रशांत  

Monday 5 September 2016

क्यूँ  इस जहाँ में हम लोगो की रुसवाईयाँ याद रखते हैं,
उनकी अच्छाईयों को नहीं उनकी बुराईयां  याद रखते हैं,
क्यूँ हम किसी से मिली तनहाईयां याद रखते हैं,
उनकी वफाईयों को नही उनकी बेवफाईयां याद रखते हैं,
हम चढ़ते तो बड़े शौख़ से हैं हर रिश्ते की सीढ़ी पर,
फिर क्यूँ हम रिश्तों की गहराईयों को नहीं उनकी कमज़ोरियाँ याद रखते हैं...

- प्रशांत

Friday 2 September 2016

" खुशी "

हर इंसान की अपनी इक मजबूरी होती है,
ज़िंदा रहने को कुछ ख्वाहिशें ज़रूरी होती हैं,
भटकता रहता है वो जीवन की राहों में,
इक आस भी न मिलती उसे इन सन्नाटों में,
रहता है मिलने को खुद से बेकरार,
हर पल करता है वो इक ख़ुशी का इंतज़ार...
चाहे सपने हों उसके पूरे,
या रह जाएं कुछ आधे अधूरे,
जुड़ सके वो अपने हालात से,
या हो कुछ दूर लोगों के विस्वास से,
जी सकता है वो जीवन के दिन चार,
क्यूंकि हर पल करता है वो इक ख़ुशी का इंतज़ार,
बस इक छोटी सी ख़ुशी का इंतज़ार...

- प्रशांत द्विवेदी