Tuesday 11 October 2016

" समुन्दर सा आईना "

ज़िन्दगी के हिस्सों में इक हिस्सा है आईना,
असल ज़िन्दगी का इक अनसुना किस्सा है आईना,
हर इक चेहरे का राज़ बताता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा लगता है ये आईना...
किसी की ख़ुशी तो किसी का ग़म दिखता है आईना,
उदास लम्हों में इक नयी आस जगाता है आईना,
खुद की हर असलियत दिखता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा दिखता है ये आईना...
अनसुलझे पहलुओं को सुलझाता है आईना,
मायूस लोगों में विस्वास जगाता है आईना,
अपनी ही चमक पे चमकता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा लगता है ये आईना...
अँधेरी सी ज़िन्दगी में उजाला है आईना,
वक़्त-बेवक़्त ज़िन्दगी का हवाला है आईना,
अपने होने का एहसास जताता है ये,
कहते हैं लोग समुन्दर सा दिखता है ये आईना...
हमारी ज़िन्दगी का रोचक फलसफा है ये,
तभी लोगों को समुन्दर सा लगता है ये आईना...

- प्रशांत

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