Wednesday 25 October 2017

"तू याद बहुत आएगी"

बहना, क्या तुझे याद है, जब हम पहली बार मिले,
ना मै तुझे जानता था, ना तू मुझे,
क्लास में आमने-सामने नज़रें तो टकराती थीं,
फिर भी इस रिश्ते की शुरुआत का एहसास ना था मुझे...
वक़्त तो बदलता गया, हमारे रिश्ते की शुरुआत हुई,
मेरी ज़िंदगी में ज़रूरत थी उसकी जो समझ सके मुझे,
फिर तूने दस्तक दी और आज मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन गयी है,
नहीं जानता मै क्यूं लेकिन तेरे साथ इक खुशी मिलती थी मुझे...
बहना, हमारी रगों में खून एक ना सही लेकिन दिल आज भी एक है,
और कुछ नहीं बस तेरे चेहरे की मुस्कान से इक सुकून मिलता था मुझे,
तू साथ होती थी तो सब अच्छा था, दूर होती थी तो सब सूना,
तेरी ख़ुशी से ही तो ख़ुशी थी मेरी, और तेरे दुख से दुख होता था मुझे...
बहना, ना मैने तेरा बचपन देखा ना तूने मेरा,
बस इसीलिये तुझे तंग करने को आज हर मौके की तलाश होती है मुझे...
क्या तुझे याद है, जब भी तूने नाटक किया मुझसे रूठने का, मुझसे दूर जाने का,
फिर कैसे इन नम आँखों ने उलझाया हुआ था मुझे,
और फिर आज तो भाई से दूर अपने हमसफर के साथ जाना है तुझे,
तेरी रुखसती तो हो जाएगी, बहना, फिर तू याद बहुत आएगी मुझे,
कसम से तू याद बहुत आएगी मुझे...

-प्रशांत द्विवेदी

Tuesday 24 October 2017

हाल-ए-दिल...