Friday 26 August 2016

" सच्ची सी दोस्ती "

जब हम खोए हुए से रहते थे,
कुछ गुमसुम से बैठे रहते थे,
जब पास ना कोई अपना था,
एहसास ना कोई अपना था,
संग इक ख़ुशी की तलाश में,
अनजाने से अटूट विस्वास में,
जो साथ हर कदम था,
वो थी इक सच्ची सी दोस्ती...
जब मै ग़मों से लड़कर हारा था,
इक सपना भी ना गंवारा था,
हो गया था जब बेहाल सा,
इक अनसुलझे से सवाल सा,
तब भी साथ थी जो मेरे,
वो थी इक सच्ची सी दोस्ती...
अब मैने भी हर गम भूलकर,
हर सितम को पीछे छोंड़कर,
अपना ली है,
सच्चे दोस्त की इक सच्ची सी दोस्ती...

- प्रशांत द्विवेदी

Wednesday 24 August 2016

अब तक ना मिला मुझे इक यार तेरे जैसा,
ढूंढता मै फिरा दिल-ए-दिलदार तेरे जैसा,
नहीं चाहिए मुझे अब शख्स कोई दूसरा,
जब साथ हो मेरे इक गुल-ए-गुलजार तेरे जैसा...

- प्रशांत 

Sunday 21 August 2016

" छोटी सी भूल "

हर ख़ुशी में इक पल ये भी था,
जीवन का इक रंग ये भी था,
मैने हर दिल पे राज़ किया,
कुछ अनजाने लम्हों का आगाज़ किया...
अब तक तो सब ठीक था,
ना जाने फिर ऐसा क्या हुआ,
खलती ही गयी मुझे मेरी इक,
छोटी सी भूल...
अब होकर तनहा इन राहों में,
मै घूम रहा सन्नाटों में,
अश्कों के बादल ने घेर लिया,
मुझसे हर सपना छीन लिया,
ना जी पाउँगा ज़िन्दगी अब होके मशगूल,
क्यूंकि बर्बाद कर गयी मुझे मेरी इक,
छोटी सी भूल...
- प्रशांत द्विवेदी

Friday 19 August 2016

" किस्से "

राह में बड़े झमेले हैं,
जीवन के किस्से अलबेले हैं,
कुछ लोगों से इक बात सुनी,
किस्सों की हर सौगात सुनी...
फिर सोंचा मैने इक पल के लिए,
जीवन सवारूँ अब कल के लिए,
जो होना था सो हो चुका,
अब किस्सों में मै खो चुका...
मैंने अब जीना सीख लिया,
इक ख़ुशी ने हर गम छीन लिया,
अब राह में ना रोड़े आएंगे,
किस्से हैं,
गर सच हुए,
तो बस होते ही जाएंगे...
- प्रशांत द्विवेदी

Wednesday 17 August 2016

" अनजाना सा सपना "

अनजाना सा इक सपना था,
राह में कोई अपना था,
चाह थी उससे मिलने की,
साथ ज़िन्दगी जीने की...
ये बस ख़्वाबों का इक झोंका था,
दिल ने ही दिल को रोका था,
मिलके मुझसे उसने मुंह यूँ मोड़ा,
जीने की इक आस को उसने पल में तोड़ा...
अब ना उससे टकराऊंगा,
खाई है कसम,
ऐ ज़िन्दगी,
लौट के वापस आऊंगा,
मैं लौट के वापस आऊंगा...

- प्रशांत द्विवेदी