Saturday 31 December 2016

" नये साल का आगाज़ "

बेशुमार खुशियों की बस शुरुआत हो,
यूं जो नये साल का आगाज़ हो,
गिले-शिकवे भी सारे यूँ हो जाये दूर,
नये साल में जो अपनों का बस आशिर्वाद हो...
हर इक दिल में उमड़ता सच्चा सा प्यार हो,
राह में हर पल लोगों का जो साथ हो,
दुष्वारियां कुछ यूँ रहें हमसे दूर,
कि हर फैसले की बुनियाद पे हमारा ताज हो...
कुछ यूँ जो नये साल का आगाज़ हो,
बस खुशियों से ही हम सरोबार हों,
राह की कुरीतियों से रहें हम कोसों दूर,
कठिनाईयों का बेहतर निवारण भी हमारे पास हो...
नकारात्मकता बिल्कुल ना हमे छू सके,
यूं जो नये साल का खूबसूरत आगाज़ हो...

- प्रशांत द्विवेदी

Wednesday 14 December 2016

बीत रही है ज़िंदगी तेरी अब बस बातें बनाने में,
कभी कद्र भी करना सीखो अपनी इस उलझे ज़माने में,
अब तक ना लौटा है ना लौटेगा साहिल तेरे प्यार का,
इक ज़रा सी कोशिश तो करो अब उसे ख़ुद से भुलाने में...

- प्रशांत