Wednesday 14 September 2016

" दोस्ती तुझे सलाम "

ज़िन्दगी जीने की इक आस होती है दोस्ती,
कोई हो ना हो पर पास होती है दोस्ती,
दो दिलों की इक पहचान होती है दोस्ती,
दूर होकर भी आबाद होती है दोस्ती...
कुछ रिश्तों की मिठास होती है दोस्ती,
इक अटूट सा विस्वास होती है दोस्ती,
संग अपने हर कदम भले ही कोई ना हो,
लेकिन कदम दर कदम साथ होती है दोस्ती...
जब समझ नहीं आते ज़िन्दगी के दस्तूर,
लोग हो जातें हैं अपने ग़मों में मजबूर,
तब लेते हैं दिल से बस इक नाम,
ऐ दोस्ती तुझे सलाम...
देना चाहता हूँ आज बस ये पैग़ाम,
लेना ना भूलूं मै इस रिश्ते का नाम,
दोस्ती तुझे सलाम,
ऐ दोस्ती तुझे सलाम...

- प्रशांत  

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