Wednesday 8 March 2017

तमाशा

कुछ ख्वाहिशों के दामन जब यूं संवर जाते हैं,
दो पल ज़िंदगी के फिर यूं बिखर जाते हैं,
लोग हो जाते हैं मज़बूर इस चकाचौंध में,
और तमाशगीर तमाशा देखकर चले जाते हैं...

- प्रशांत

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